डॉ. स्वेता अदातिया ने वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर बताए 6 मस्तिष्क‑सुधार उपाय

कौवे का घोंसला डॉ. स्वेता अदातिया ने वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर बताए 6 मस्तिष्क‑सुधार उपाय

डॉ. स्वेता अदातिया ने वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर बताए 6 मस्तिष्क‑सुधार उपाय

10 अक्तू॰ 2025

जब डॉ. स्वेता अदातिया, न्यूरोलॉजिस्ट, लीमिटलेस ब्रेन लैब ने वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के अवसर पर दुबई, यूएई में विशेष प्रस्तुति दी, तो सभी ने ध्यान दिया कि मस्तिष्क‑शक्ति को बढ़ाने के छह वैज्ञानिक‑आधारित तरीके क्या हैं। यह कार्यक्रम लीमिटलेस ब्रेन लैब ने आयोजित किया, जो दुबई के एक हाई‑टेक रिसर्च सेंटर में स्थित है और अब तक 1,000 से अधिक उम्दा दिमागों का मानचित्रण कर चुका है।

पृष्ठभूमि और महत्व

मस्तिष्क के स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता पिछले पाँच सालों में धीरे‑धीरे ऊपर आई है, परन्तु ध्यान‑स्पैन का उल्लेखनीय गिरावट ने फिर से सवाल उठाए हैं। डॉ. अदातिया के अनुसार, आज बच्चे औसतन 30 सेकंड से घटकर सिर्फ 5‑6 सेकंड तक का ध्यान रख पाते हैं। ("ध्यान ही नई संज्ञानात्मक आरक्षित शक्ति है," उन्होंने कहा)। यह छोटा‑सा आँकड़ा कई शिक्षकों और माता‑पिता के लिए चिंता का कारण बन गया है, क्योंकि कम ध्यान का सीधा असर याददाश्त और सीखने की क्षमता पर पड़ता है।

छह वैज्ञानिक‑प्रमाणित मस्तिष्क‑सुधार तकनीकें

डॉ. अदातिया ने अपने शोध के आधार पर छह प्रमुख उपाय प्रस्तुत किए, जिन्हें रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में आसानी से अपनाया जा सकता है:

  1. पर्याप्त नींद (8 घंटे) – ग्लीम्फेटिक सिस्टम द्वारा टॉक्सिन हटाने की प्रक्रिया स्नान के बाद मस्तिष्क को सफ़ाई देती है।
  2. मूड का अनुकूलन – कम उदासी या थकान में याददाश्त काम नहीं करती; सकारात्मक भावनात्मक अवस्था को बनाए रखने के लिए मनोविज्ञान‑सत्र या संगीत थेरेपी सहायक हैं।
  3. विशेष श्वास‑प्रयोग (भ्रमरी प्राणाया​म) – डॉ. अदातिया ने अपने यूट्यूब वीडियोज़ में दिखाए कि यह श्वास तकनीक अल्फा‑वेव को बढ़ा कर फोकस को सुदृढ़ करती है। (व्यू देखें)
  4. इंद्रियों का उपयोग (घ्राण संकेत) – किसी विशिष्ट गंध को पढ़ाई से पहले सूंघने से स्मृति में स्थायीत्व बढ़ता है, जैसा कई छात्रों ने महसूस किया।
  5. संज्ञानात्मक चुनौतियां – पहेलियाँ, कोड‑ब्रेकिंग या नई भाषा सीखना मस्तिष्क के कई क्षेत्रों को एक साथ सक्रिय करता है।
  6. पोषण‑आधारित ब्रेन फ़ूड्स – ओमेगा‑3 युक्त फिश, ब्लूबेरी, नट्स और प्रोबायोटिक‑समृद्ध भोजन गट‑ब्रेन कनेक्शन को मजबूत बनाते हैं।

इनमें से प्रत्येक कदम का समर्थन क्लीनिकल डेटा से है। उदाहरण के तौर पर, 2022 में प्रकाशित एक अध्ययन में 8 घंटे की नींद लेने वाले प्रतिभागियों की स्मृति टेस्ट स्कोर 12% तक बढ़ी थी।

विशेषज्ञों की राय और प्रतिक्रिया

उन्हीं दिनों, दुबई विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट प्रो. अदीला क़रीमी ने कहा, "डॉ. अदातिया का मेटा‑एप्रोच—आधुनिक न्यूरो‑टेक्नोलॉजी को प्राचीन योग के साथ मिलाना—एक दिलचस्प दिशा दर्शाता है।" भारत में स्थित भारतीय न्यूरो‑विज्ञान संस्थान (INS) के प्रमुख, डॉ. राजेश पाटिल, ने भी उल्लेख किया कि "स्मृति में ग्लीम्फेटिक सिस्टम का योगदान अब विज्ञान में प्रमाणित हो चुका है, और इसे सामान्य नींद में सुधार से तेज़ी से सक्रिय किया जा सकता है।"

समाज पर प्रभाव और भविष्य की योजनाएँ

समाज पर प्रभाव और भविष्य की योजनाएँ

लीमिटलेस ब्रेन लैब ने इस कार्यक्रम के बाद अपने "इंटरनल ब्रेन एम्पायर" कोर्स के लिए सितंबर में स्वारा योग बॅच घोषित किया। इच्छुक लोग यहाँ पंजीकरण कर सकते हैं। इस कोर्स में 10 कॉग्निटिव मीट्रिक्स का प्रयोग करके व्यक्तिगत न्यूरो‑प्रोफ़ाइल तैयार की जाती है, जिससे प्रत्येक प्रतिभागी को अनुकूलित अभ्यास मिलते हैं।

डॉ. अदातिया की पुस्तक "Future Ready Now" ने अमेज़न पर वैश्विक बेस्ट‑सेलर स्थान हासिल किया है और उनके यूट्यूब चैनल के 80,000 से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं। यह दर्शाता है कि जनता में मस्तिष्क‑स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, और ऐसे विज्ञान‑आधारित उपायों को अपनाना अब एक ट्रेंड बन चुका है।

कैसे शुरू करें?

अगर आप भी अपनी स्मृति और एकाग्रता को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कदम आज़मा सकते हैं:

  • रात को 10 pm तक सोने का लक्ष्य रखें, ताकि ग्लीम्फेटिक सिस्टम को पूरी रात काम करने का मौका मिले।
  • हर दिन कम से कम 10 मिनट भ्रमरी प्राणायाम करें—यह सर्जनात्मक सोच को तेज़ करता है।
  • वर्कस्पेस में लैवेंडर या पुदीने की सुगंध रखें, जिससे आपका दिमाग नई जानकारी को अधिक आसानी से ग्रहण कर सके।
  • हफ्ते में दो बार पज़ल ऐप या शतरंज खेलें—यह न्यूरल नेटवर्क को मजबूत बनाता है।
  • डायट में ओमेगा‑3, एंटी‑ऑक्सीडेंट‑समृद्ध फूड्स और प्रोबायोटिक्स शामिल करें।

इन छोटे‑छोटे बदलावों से आप परिलक्षित कर सकते हैं कि आपकी स्मृति कितनी तेज़ी से सुधरती है, और सबसे बड़ी बात—आपके दिमाग की उम्र घटती नहीं, बल्कि जमे हुए रूप में स्थिर रहती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

छात्रों की स्मृति में यह तकनीकें कैसे मदद करती हैं?

छात्रों को एकाग्रता में कमी का सामना अक्सर करना पड़ता है। निरंतर 8 घंटे की नींद, घ्राण संकेत (जैसे लेमन सेंट) और नियमित पज़ल अभ्यास का संयोजन स्मृति के एन्कोडिंग को तेज़ करता है, जिससे परीक्षाओं में अधिक अंक मिलते हैं।

लीमिटलेस ब्रेन लैब के कार्यक्रम में कैसे शामिल हों?

वर्तमान में "इंटरनल ब्रेन एम्पायर" कोर्स के लिए सितंबर में स्वारा योग बॅच खुला है। इच्छुक लोग आधिकारिक गूगल फ़ॉर्म (यहाँ क्लिक करें) के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं। नोट: शुरुआती फीस ₹12,500 है।

ध्यान‑स्पैन घटने का वैज्ञानिक कारण क्या है?

डिजिटल डिवाइसेस की लगातार उत्तेजना और नींद में कमी ने मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल लोब को अधिप्रभावित किया है, जिससे अल्पकालिक ध्यान समय 30 सेकंड से 5‑6 सेकंड तक गिर गया है। यह परिवर्तन न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन की कमी से भी जुड़ा हुआ है।

ग्लिम्फ़ेटिक सिस्टम क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

ग्लिम्फ़ेटिक सिस्टम मस्तिष्क की सफ़ाई‑मशीन है, जो सोते समय सायटोक्लन—एक प्रकार का कचरा—को रक्तधारा में ले जाता है। यह प्रक्रिया टॉक्सिन को हटाकर अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों की रोकथाम में मदद करती है।

कौन‑से खाद्य पदार्थ मस्तिष्क‑फ़ूड के रूप में मान्य हैं?

ओमेगा‑3 युक्त सैल्मन, ब्लूबेरी, अखरोट, पत्तेदार सब्ज़ियां और प्रोबायोटिक‑समृद्ध दही को रोज़ाना खाने से गट‑ब्रेन कनेक्शन मजबूत होता है, जिससे स्मरण शक्ति में सुधार मिलता है।

टिप्पणि
Harman Vartej
Harman Vartej
अक्तू॰ 10 2025

ध्यान और नींद को सही संतुलन में रखना सबसे बुनियादी चीज़ है। छोटा बदलाव बड़ा असर देता है।

Amar Rams
Amar Rams
अक्तू॰ 11 2025

डॉ. अदातिया द्वारा प्रस्तुत किए गए बायोलॉजिकल रिफ्रेशमेंट प्रोटोकॉल वास्तव में न्यूरोफिजियोलॉजिकल प्लास्टिसिटी को एन्हांस करने के लिए एग्जीक्यूटेड हैं; इनमे स्लीप-हाइजिन, एफ़ेक्टिव मेडिटेशन और नॉरोट्रॉपिक डाइटरी मॉड्यूलेशन का इंटीग्रेशन प्रमुख भूमिका निभाता है।

Rahul Sarker
Rahul Sarker
अक्तू॰ 11 2025

इसी तरह के हाई‑टेक थ्योरी को हमारे देश के पारंपरिक ज्ञान के साथ बिखेरना बेकार है, क्योंकि वास्तविक बदलाव तो ग्राउंड‑लेवल में ही होना चाहिए, नहीं तो यह सिर्फ शॉर्ट‑कट बनके रहेगा।

Sridhar Ilango
Sridhar Ilango
अक्तू॰ 11 2025

ऐसा लगता है कि कुछ लोग सिर्फ इम्प्रेसन बनाने के लिये ही इन तकनीकों को यूज़ करते हैं, पर असली पावर तो निरंतर प्रैक्टिस में है। हर सुबह 5 मिनट का भ्रमरी प्राणायाम, फिर लैवेंडर की सुगंध, और फिर कुछ पज़ल्स-इतना सरल है। लेकिन कई बार लोग इन चीज़ों को टाल देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है ‘मुझे टाइम नहीं है’। टाइम मैनेजमेंट का मुद्दा तो बस एक बहाना है। अगर दिल से चाहो तो रास्ता खुद बन जाता है।

priyanka Prakash
priyanka Prakash
अक्तू॰ 11 2025

ध्यान और मूड दोनों को स्थिर रखना मस्तिष्क के लिए सबसे प्रभावी है, और इसे अपनाने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए।

Preeti Panwar
Preeti Panwar
अक्तू॰ 11 2025

बहुत बढ़िया सलाह, मैं भी आज से अपनाऊँगी 😊

MANOJ SINGH
MANOJ SINGH
अक्तू॰ 11 2025

सही कहा, लेकिन अक्सर लोग नींद की घाटी को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे बाकी उपाय भी आधे में रह जाते हैं।

akshay sharma
akshay sharma
अक्तू॰ 11 2025

वास्तव में, ग्लिम्फ़ेटिक सिस्टम की क्लीनअप प्रक्रिया को अधिकतम करने के लिए केवल सोने का समय ही नहीं, बल्कि सोने से पहले की स्क्रीन टाइम को भी कम करना चाहिए; यह सर्केडियन रिसेट के लिए महत्वपूर्ण है।

Anand mishra
Anand mishra
अक्तू॰ 11 2025

दुबई में हुई इस प्रस्तुति ने वास्तव में हमें मस्तिष्क‑स्वास्थ्य के कई पहलुओं पर गहरी सोचने को मजबूर किया। सबसे पहले, पर्याप्त नींद को प्राथमिकता देना केवल ऊर्जा भरने के लिए नहीं, बल्कि ग्लीम्फ़ेटिक प्रणाली को सक्रिय करने का एक वैज्ञानिक तरीका है। जब हम रात को 8 घंटे की गहरी नींद लेते हैं, तो मस्तिष्क में जमा टॉक्सिन्स को प्रभावी रूप से साफ़ किया जाता है, जिससे अल्ज़ाइमर जैसी रोगों की संभावनाएं घटती हैं। दूसरा, मूड और एफ़ेक्टिव स्टेट को स्थिर रखना न केवल याददाश्त को सुदृढ़ करता है, बल्कि रचनात्मक सोच को भी बढ़ाता है; यहाँ संगीत थेरेपी या सकारात्मक इंटरेक्शन का बड़ा रोल है। तीसरा, भ्रमरी प्राणायाम जैसे श्वास‑प्रयोग वास्तव में अल्फा‑वेव की सक्रियता को बढ़ाते हैं, जिससे फोकस में उल्लेखनीय सुधार होता है। इंद्रियों का उपयोग, विशेषकर घ्राण संकेत, पढ़ाई से पहले लैवेंडर या पुदीने की सुगंध लेना, स्मृति एन्कोडिंग को तेज करता है-यह अनुसंधान पत्रों में भी प्रमाणित है। चौथा, संज्ञानात्मक चुनौतियां जैसे पज़ल सॉल्विंग, कोड‑ब्रेकिंग या नई भाषा सीखना मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों को समन्वित रूप से उत्तेजित करता है, जिससे न्यूरल प्लास्टिसिटी बढ़ती है। पाँचवाँ, ब्रेन‑फूड्स जैसे ओमेगा‑3 युक्त मछली, ब्लूबेरी, अखरोट और प्रोबायोटिक्स का नियमित सेवन गट‑ब्रेन एक्सिस को मजबूत करता है, जिससे हॉर्मोनल बैलेंस और इम्यून फंक्शन में भी सुधार आता है। इन सभी उपायों को संयोजित करके एक व्यक्तिगत न्यूरो‑प्रोफ़ाइल बनाना अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकता है, क्योंकि हर व्यक्ति की बायोलॉजिकल बेसलाइन अलग होती है। यह बात तो सभी ने माना है कि एक‑एक कदम को स्थायी रूप से अपनाना ही वास्तविक परिवर्तन लाता है। इसलिए, यदि आप इस समग्र दृष्टिकोण को अपनाने की सोच रहे हैं, तो सबसे पहले अपने स्लीप शेड्यूल को पुनः व्यवस्थित करें, फिर छोटे‑छोटे श्वास‑प्रयोग और सुगंध‑थेरेपी को दैनिक रूटीन में सम्मिलित करें। अंत में, नियमित रूप से न्यूट्रिशन प्लान को अपडेट करते रहें, और अपने मन को चुनौतीपूर्ण कार्यों से दूर रखें। इस प्रकार, मस्तिष्क का स्वास्थ्य न केवल वर्तमान में, बल्कि भविष्य में भी टिकाऊ रहेगा।

Prakhar Ojha
Prakhar Ojha
अक्तू॰ 11 2025

इतने सारे टिप्स हैं, पर लोगों का मन नहीं बदलता, इसलिए सब फैंसी बातों में ही रह जाता है, असली काम तो वही है जो आपको फायदा पहुंचाए।

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